“राजेंद्र प्रसाद सेवा संस्थान के कौशल विकास कार्यक्रम ने मेरी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदल दिया। पहले मैं अपने गाँव में कुछ हाथ से बनी चीज़ें बेचकर मुश्किल से घर चला पाती थी, लेकिन जब मैंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया, तो मेरी दुनिया ही बदल गई।
प्रशिक्षण के दौरान मैंने अपने हुनर को नया रूप दिया और कई नई तकनीकें सीखी। अब मैं अपने बनाए उत्पादों को अच्छे दामों पर बेचकर खुद का छोटा व्यवसाय चला रही हूँ। संस्था द्वारा दी गई मदद और मार्गदर्शन ने मुझे आत्मविश्वास दिया और अब मैं अपने परिवार के लिए एक स्थिर आमदनी का स्रोत बना चुकी हूँ।्रता है।”
“मैं, रेश्मी, एक कारीगर, राजेन्द्र प्रसाद सेवा संस्थान द्वारा बलरामपुर में आयोजित डिज़ाइन और डेवलपमेंट कार्यशाला में भाग लेकर बेहद आभारी हूं। यह कार्यशाला मेरे लिए एक समृद्ध और प्रेरणादायक अनुभव रही।
इस कार्यशाला ने कारीगरों के लिए नवीन तकनीकों को सीखने और अपने कौशल को बेहतर बनाने का एक शानदार मंच प्रदान किया। प्रशिक्षक बहुत ही अनुभवी और सहायक थे, जिन्होंने पारंपरिक शिल्प को बनाए रखते हुए आधुनिक डिज़ाइन रुझानों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। कार्यशाला में किए गए व्यावहारिक सत्रों ने हमें नई विधियों को समझने का अवसर दिया, जो हमारे काम की गुणवत्ता को और बेहतर बनाएंगे।”— Pushpa - Kakori, Lucknow (Project Shwet)
“I never imagined that I would be able to read and write ever because of my family’s financial condition. My mother wanted me to beg but I always discouraged it. At Antyoday Center, I take part in cultural activities and enjoy dance classes too. I have learned about hygiene practices, importance of eating nutritious food and healthy relationship boundaries. I teach these practices to my siblings at home. My mother has also started appreciating the new version of me. Thank you, Safe Society for changing my life to the best.”
— Neha (12 Yrs) - Gorakhpur (Project - Bal Srijan)
“On discovering about Safe Society's Antyoday center I enrolled my three daughters to take benefit of free education, nutritious meals, and good habits. Within a month, I witnessed a remarkable transformation because of fun activities like prayer, yoga, meditation, and health classes, my children were happier and better behaved.”
— Khushboo's Mother - Beneficiary